महीने में जब भी 2-3 दिन की छुट्टियां पड़ती है तो हम यह अमूल्य समय अपने परिवार एवं बच्चों के साथ बिताते हैं, क्योंकि यही वह समय होता है जिसके लिए हम इतनी मेहनत करते है और परिवार से दूर रहते है | लेकिन हमारे बिच में कुछ ऐसे भी मानवता प्रेमी और सामाज सेवा को समर्पित ब्यक्तित्व होते है जो इस कीमती समय को दूसरों के हितार्थ लगाने में सुखद अनुभूति महसूस करते है, क्योंकि उनका मानना है कि दूसरे जरूरतमंदों के मुरझाये हुए चेहरों पर खुशी देखकर जो संतुष्टी मिलती है वही उनकी सबसे बड़ी खुशी होती है |

ऐसे ही महान ब्यक्तित्व के धनी हमारे समूण परिवार में श्री विजय मोहन पैन्यूली जी है जो चमोली के दुरस्त जगह पर नौकरी करते है और जब भी देहरादून परिवार के पास आते है समूण के विलम्ब पड़े सभी कार्यों को निष्पादित करते है | पिछली छुट्टियों मे ओसाला गांव में खुलने वाले स्कूल के सम्बन्ध में देहरादून में विभिन्न विभागों के चक्कर, उससे पहली छुट्टी में चमोली सिलाई केंद्र और उससे पहले दिब्यांग लश्मण की दूकान के लिए सामान भिजवाना, रुद्रप्रयाग एवं टिहरी कंप्यूटर प्रशिक्षण केन्द्रो से सम्बंधित समस्त काम निपटना आदि पैन्यूली जी द्वारा किये जाते है और इसके साथ ही समूण फाउंडेशन में बड़ी मात्रा में स्वयं भी दान करना और दूसरों को भी दान देने हेतु प्रेरित करना श्रीमान पैन्युली जी प्रयास करते रहते है | 2 दिन पूर्व ही पैन्यूली जी के माध्यम से 11000 हजार रुपयों का दान प्राप्त हुआ |

दिब्यांग लक्षमण के लिए समूण फाउंडेशन के माध्यम से दूकान तो खुल गयी है लेकिन लक्षमण जी ने इच्छा जाग्रत की थी की उनके लिए एक इलेट्रॉनिक्स तराजू मिल जाय तो उन्हें सामान तोलने में आसानी होती तो सम्मानित सदस्य चंद्र मोहन कोटियाल जी के सौजन्य से और श्री विजय मोहन पैन्यूली जी के प्रयासो से आज दिब्यांग लक्षमण जी के लिए तराजू खरीद दिया है जो बहुत जल्द चमोली में लक्षमण जी की दूकान तक भेजा जाएगा |

एक बार दान देने की बजाय हम किसी को जीवन भर के लिए स्वरोजगार खोलकर सक्षम बनायेँ यह हमेशा ही समूण परिवार का प्रयास रहता है इसलिए हमने दिब्यांग लक्षमण जी के लिए दुकान खोलने का निर्णय लिया ।

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